ज़िन्दगी ख्वाब है - Zindagi Khwaab Hai (Mukesh, Jagte Raho)
Movie/Album: जागते रहो (1956)
Music By: सलिल चौधरी
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मुकेश
रंगी को नारंगी कहें
बने दूध को खोया
चलती को गाड़ी कहें
देख कबीर रोया
ज़िन्दगी ख्वाब है
ख्वाब में झूठ क्या
और भला सच है क्या
सब सच है
दिल ने हमसे जो कहा, हमने वैसा ही किया
फिर कभी फुरसत से सोचेंगे, बुरा था या भला
ज़िन्दगी ख्वाब है...
एक कतरा मय का जब, पत्थर के होठों पर पड़ा
उसके सीने में भी दिल धड़का, ये उसने भी कहा, क्या
ज़िन्दगी ख्वाब है...
एक प्याली भर के मैंने, गम के मारे दिल को दी
ज़हर ने मारा ज़हर को, मुर्दे में फिर जान आ गयी
ज़िन्दगी ख्वाब है...
Music By: सलिल चौधरी
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मुकेश
रंगी को नारंगी कहें
बने दूध को खोया
चलती को गाड़ी कहें
देख कबीर रोया
ज़िन्दगी ख्वाब है
ख्वाब में झूठ क्या
और भला सच है क्या
सब सच है
दिल ने हमसे जो कहा, हमने वैसा ही किया
फिर कभी फुरसत से सोचेंगे, बुरा था या भला
ज़िन्दगी ख्वाब है...
एक कतरा मय का जब, पत्थर के होठों पर पड़ा
उसके सीने में भी दिल धड़का, ये उसने भी कहा, क्या
ज़िन्दगी ख्वाब है...
एक प्याली भर के मैंने, गम के मारे दिल को दी
ज़हर ने मारा ज़हर को, मुर्दे में फिर जान आ गयी
ज़िन्दगी ख्वाब है...
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