नींद रातों की उड़ा देते हैं - Neend Raaton Ki Uda Dete Hain (Osman Mir, Ghazal)
Music By: ओसमान मीर (मयंक)
Lyrics By: मोहम्मद अल्वी
Performed By: ओसमान मीर (मयंक)
नींद रातों की उड़ा देते हैं
हम सितारों को दुआ देते हैं
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसूं
ख़ास मौकों पे मज़ा देते हैं
नींद रातों की...
अब के हम जान लड़ा बैठेंगे
देखें अब कौन सज़ा देते हैं
नींद रातों की...
हाय वो लोग जो देखे भी नहीं
याद आएँ तो रुला देते हैं
नींद रातों की...
दी है खैरात उसी दर से कभी
अब उसी दर पे सदा देते हैं
नींद रातों की...
आग अपने ही लगा सकते हैं
ग़ैर तो सिर्फ हवा देते हैं
नींद रातों की...
कितने चालाक हैं खूबां 'अल्वी'
हम को इल्ज़ाम-ए-वफ़ा देते हैं
नींद रातों की...
Lyrics By: मोहम्मद अल्वी
Performed By: ओसमान मीर (मयंक)
नींद रातों की उड़ा देते हैं
हम सितारों को दुआ देते हैं
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसूं
ख़ास मौकों पे मज़ा देते हैं
नींद रातों की...
अब के हम जान लड़ा बैठेंगे
देखें अब कौन सज़ा देते हैं
नींद रातों की...
हाय वो लोग जो देखे भी नहीं
याद आएँ तो रुला देते हैं
नींद रातों की...
दी है खैरात उसी दर से कभी
अब उसी दर पे सदा देते हैं
नींद रातों की...
आग अपने ही लगा सकते हैं
ग़ैर तो सिर्फ हवा देते हैं
नींद रातों की...
कितने चालाक हैं खूबां 'अल्वी'
हम को इल्ज़ाम-ए-वफ़ा देते हैं
नींद रातों की...
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